इस तरह लगाएं केला की बागवानी, बढ़ेगी पैदावार
तमिलनाडु। केले की प्रोसेसिंग से आज कई तरह के उत्पाद बनाए जा रहे हैं, जैसे चिप्स, पापड़ । केले के तने और पत्ते से पत्तल, दोना, कपड़े के लिए रेसा आदि । अगर आप भी केला की खेती करके अच्छी कमाई करना चाहते हैं, तो केला की बागवानी का यह तरीका अधिक फायदेमंद साबित होगा। अपने देश में केला की लगातार मांग बढ़ती जा रही है। किसानों में भी केला की खेती को लेकर जबरदस्त उत्साह है। किसान केला की फसल से बंपर पैदावार ले रहे हैं।केला की इस प्रजाति के पौधे लगाएं
- प्रत्येक पेड़-पौधों के लिए प्रजाति का बड़ा महत्व होता है। अच्छी और बेहतर क्वालिटी के पेड़-पौधों की प्रजाति हमेशा फायदेमंद रहती है। केला की रोबस्टा एवं बसराई प्रजाति के पौधे ज्यादा कारगर होते हैं। इस प्रजाति के पौधों से अधिक उत्पादन होता है।ये भी पढ़ें: केले की खेती की सम्पूर्ण जानकारी
इस तकनीकी से लगाएं केला बागवानी
- तमिलनाडु विश्वविद्यालय में हुए एक विशेष शौध में यह निष्कर्ष निकाला गया कि केला की बागवानी लगाने के लिए प्रत्येक पंक्ति के बीच की दूरी 2×3 मीटर और उतनी ही दूरी पर पौधे से पौधा लगाया जाए। एक हेक्टेयर खेत में तकरीबन 5000 पौधे लगाए जाएं। इसमें पोटाश, नाइट्रोजन व फास्फोरस की मात्रा थोड़ी बढ़ाई जाए। इस विधि से उत्पादन में वृद्धि की संभावना बढ़ सकती है। इस तरह आप केला की प्रथम फसल केवल 12 महीने में ही ले सकते हैं। और इसमें उपज भी बेहतर मिलेगी।बीटिंग एंड ब्लास्ट रोग से चिंतित हैं केला किसान
- केला की खेती करने वाले किसानों को विभिन्न सावधानी बरतने की जरूरत होती है। केला में एक विशेष प्रकार के रोग के कारण केरल और गुजरात के किसानों की चिंता बढ़ गई है। केला में बीटिंग एंड ब्लास्ट नाम के रोग ने किसानों को चिंतित किया है। इससे किसानों को काफी नुकसान झेलना पड़ रहा है।ये भी पढ़ें: अब सरकार बागवानी फसलों के लिए देगी 50% तक की सब्सिडी, जानिए संपूर्ण ब्यौरा
कैसे मिलेगी केला में रोग से निजात
- केला में होने वाले बीटिंग एंड ब्लास्ट रोग से निजात पाने के लिए किसानों को फिलहाल कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है। केला में पाए जाने वाले इस रोग से किसानों को काफी नुकसान हो रहा है। ऐसे में जरुरी है कि इस रोग का बचाव सही समय पर किया जाए। यदि केले की फसल में इस रोग का प्रकोप हो जाए, तो इसके लिए आपको सबसे पहले बाज़ार में मिलने वाले फफूंदनाशक में से कोई भी एक का चयन कर घोल बनाकर 15 दिन के अंतराल में 2 बार पौधों पर छिड़क दें। ध्यान रहे कि छिड़काव केले के फलों के बंच को निकालने के बाद ही करना चाहिए। इस तरह आप बीटिंग एंड ब्लास्ट रोग से फसल का बचाव कर सकते हैं। ------ लोकेन्द्र नरवार
29-Jun-2022